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हूं सफ़र में अभी, पर मेरा सफ़र अभी अधूरा है। मंज़ि

हूं सफ़र में अभी, पर मेरा सफ़र अभी अधूरा है।
मंज़िल की तलाश मुझे, ना मेरा ख़्वाब पूरा है।।

चलती चली जाती हूं मैं, अपनें कर्म के पथ पर।
ये विश्वास मेरा, होगा निशान, पैरों के तल पर।।

जो है ख़्वाब देखें मैंने, साकार उसे भी करूंगी।
आज नहीं तो फ़िर कल, आसमां फतेह करूंगी।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

📌 रचना का सार..📖 के Pin Post पर 📮 वाले नियम अवश्य पढ़े..😊🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-68 में स्वागत करता है..🙏🙏
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ये विश्वास मेरा, होगा निशान, पैरों के तल पर।।

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