अपना चिंतन अपनी कलम से~🖋- *किसी भी इंसान के बारे में सोचना इसलिए जरूरी नहीं हो जाता है,क्योंकि यहाँ प्रत्येक इंसान अपनी यूनिकता को लिए हुए हैं*। माला सिंह(मेरठ) ©Mala Singh Shweta Duhan Deshwal