मैं हकीक़त नहीं सपना था जैसे बज़्म-ए-अग़्यार मे ठहरा ही दिया कोई इतना बेदर्द हो भला कैसे बज़्म-ए-अग़्यार = अजनबियों की महफ़िल #yosimwrimo में आज का simile #challenge #भुलादिया मुझे उसने ऐसे #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqsayyed