इत्तु सा पैगाम शत्रुगन ठाकुर सर् के नाम।
कहने को वो शत्रुगन थे, कर्म से वो ठाकुर थे।
लगा ना था कि कुछ ही दिनों में हमारी गहरी दोस्ती हो जायेगी । सीखते-सीखते अलविदा कहने की नोबत आ जायेगी। भूल ना जाये वो हमें कही इसलिए आख़री पलों में खुशियों की सुनामी लाये थे हम।
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