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धूल भी अजीब होता है । हवा के साथ उड़-उड़ कर न जाने क

धूल भी अजीब होता है ।
हवा के साथ उड़-उड़ कर
न जाने कहाँ-कहाँ ठहर जाता है

कभी पेड़ के कोमल पत्तों पर          
कभी घर के मेज व दीवारों पर!
कभी किसी तस्वीर पर
कभी वेदना के काँच पर
कभी खुली आँखों के स्वप्न पर,

ठेस करती है और भुला देती है
कुछ जरूरी अनकही बातों को
कभी-कभी तो हमारी चेतना पर 
दंश करती है!

धूल वफा भी करती है।
अगर नजरअंदाज करने वालों पर 
बैठ जाए तो उनकी सुधी हमें नहीं होती है।

धूल अपना अस्तित्व खुद बनाती है !
पर उसके अस्तित्व के परिचायक
मिट्टी, कंकड़, फूलों के पराग, वस्त्र के उलझे धागे
और भी बहुत कुछ ....
धूल प्रकृति के जन-मानस के बहुमूल्य पात्र हैं!
धूल जरूरी है,
अपने पराये के बीच के कटुता का नरसंहार के लिए!
धूल भी अजीब होता है.....

©सौरभ अश्क #dust
#धूल
#हवा
#कण 

#Quotes
धूल भी अजीब होता है ।
हवा के साथ उड़-उड़ कर
न जाने कहाँ-कहाँ ठहर जाता है

कभी पेड़ के कोमल पत्तों पर          
कभी घर के मेज व दीवारों पर!
कभी किसी तस्वीर पर
कभी वेदना के काँच पर
कभी खुली आँखों के स्वप्न पर,

ठेस करती है और भुला देती है
कुछ जरूरी अनकही बातों को
कभी-कभी तो हमारी चेतना पर 
दंश करती है!

धूल वफा भी करती है।
अगर नजरअंदाज करने वालों पर 
बैठ जाए तो उनकी सुधी हमें नहीं होती है।

धूल अपना अस्तित्व खुद बनाती है !
पर उसके अस्तित्व के परिचायक
मिट्टी, कंकड़, फूलों के पराग, वस्त्र के उलझे धागे
और भी बहुत कुछ ....
धूल प्रकृति के जन-मानस के बहुमूल्य पात्र हैं!
धूल जरूरी है,
अपने पराये के बीच के कटुता का नरसंहार के लिए!
धूल भी अजीब होता है.....

©सौरभ अश्क #dust
#धूल
#हवा
#कण 

#Quotes