दिन किताबों में कट रहा और रातें दवाओं में घुटन ऐसी है मानो जहर घुली हो हवाओं में मर्ज क्या है मुझे, अब ये न पूछो साहब ! बस राहत बंद कमरे में है और तड़प इन फिजाओं में #शुकून_ए_सफ़र #दवा_ए_मर्ज #बेचैनियाँ #बेवजह #जिंदगी_एक_फ़लसफा #aksh