Peace Do Read The Caption दिल्लगी करने की कोशिश जारी है कुछ नई राहों से लेकिन वाकिफ भी हूं उन सकरी गलियों की वफाओं से फितरत कहा होती है मुसाफिर सी कुछ जरूरतों का बोझ उठाती है खानाबदोशी महज सफर का होना किसे है सुकून कि किसी तलाश नहीं बेवफ़ाई उन वक़्त से तेज़ दौड़ती यादों से, हौले से रात में तब्दील होती शामों से