तुम से जुदा हो के भी मैं तुम्हारी कोई बात नहीं भूला गुजर गये कई साल मगर वो पहली मुलाकात नहीं भूला यूं तो कह देता हूँ यारों से कि मुझे मोहब्बत नहीं मगर हकीकत ये है अब तक तुम्हारा साथ नहीं भूला हर रोज एक बार ही सही तुम्हें याद मैं कर लेता हूँ तुम्हारी बातों को सोच सोच अकेले ही मुस्कुरा लेता हूँ कोई देख लेता है अगर मुझे यूं हंसते हुए कभी तो कोई पुरानी बात है कह के मैं हंसी में उड़ा देता हूँ छिप छिप के तुम्हारी तस्वीर का दीदार कर लेता हूँ फिर आँख बंद कर कछ देर यादों में डूब जाता हूँ कुछ अलग ही एहसास होता है आज भी पुरानी यादों में डूब उन दिनो की याद में मैं आज को ही भूल जाता हूं । (VK SAMRAT) शुभ रात्रि