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कुछ महीनों पहले जिसको पहनाई थी वरमाला, आज उसकी त


कुछ महीनों पहले जिसको पहनाई थी वरमाला, 
आज उसकी तस्वीर के आगे सजा रखी है दीपों की माला, 

देश के गद्दारों को खाक में मिलाने वो अपना फर्ज निभा गया, 
मुझे दिए सात वचनों को न निभा पाने के लिए खुद को मेरा कर्जदार बना गया, 

सिंदूर से मांग मेरी सजाकर और अपने नाम की ओढ़नी मुझे उड़ाकर, जो सात जन्मों के लिए मुझे अपना बना गया, 
अगले जन्म ये सातों वचन निभाऊगां, ये जन्म तो देश को कुर्बान कर दिया और अगले जन्म तेरे साथ बिताऊगां, ये वादा कर वो तिरंगा ओढ़कर ही सदा के लिए सो गया, 

पल भर की जुदाई में और पति के बिना इस पतझड़ से जीवन होने पर रो दिया करती थी, 
आज शहीद की दुल्हन कहलाने पर, आंखों में न जाने कब से सावन को रोके रखा है, देश के सम्मान के लिए शहीद पति की कुर्बानी की खातिर मैंने अपने आसूंओं को बहने से रोक रखा है...

©dpDAMS
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