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गजल मुझे सियासत सी लगती हैं जो तुम्हे चाहत सी लगत

गजल

मुझे सियासत सी लगती हैं
जो तुम्हे चाहत सी लगती है
किसी को भूल जाना यूँ
किसी को याद कर लेना
तुम्हे राहत सी लगती हैं
मुझे सियासत सी लगती हैं
कभी तो लौट आओ तुम
मेरी दर्दे दवा बनकर
बिगड़ी हालत सी लगती हैं
जो तुम्हे चाहत सी लगती हैं
कैसे भूल जाऊं मै
कैसे दूर जाऊं मै
तू मेरी आदत सी लगती हैं
जो तुन्हें सियासत सी लगती हैं #ghajal
गजल

मुझे सियासत सी लगती हैं
जो तुम्हे चाहत सी लगती है
किसी को भूल जाना यूँ
किसी को याद कर लेना
तुम्हे राहत सी लगती हैं
मुझे सियासत सी लगती हैं
कभी तो लौट आओ तुम
मेरी दर्दे दवा बनकर
बिगड़ी हालत सी लगती हैं
जो तुम्हे चाहत सी लगती हैं
कैसे भूल जाऊं मै
कैसे दूर जाऊं मै
तू मेरी आदत सी लगती हैं
जो तुन्हें सियासत सी लगती हैं #ghajal