गजल मुझे सियासत सी लगती हैं जो तुम्हे चाहत सी लगती है किसी को भूल जाना यूँ किसी को याद कर लेना तुम्हे राहत सी लगती हैं मुझे सियासत सी लगती हैं कभी तो लौट आओ तुम मेरी दर्दे दवा बनकर बिगड़ी हालत सी लगती हैं जो तुम्हे चाहत सी लगती हैं कैसे भूल जाऊं मै कैसे दूर जाऊं मै तू मेरी आदत सी लगती हैं जो तुन्हें सियासत सी लगती हैं #ghajal