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माना कि तेरे दर पे हम खुद चलकर आये थे ऎ इश्क़,, ल

माना कि तेरे दर पे हम खुद चलकर आये थे ऎ इश्क़,, 
 लेकिन दर्द दर्द और बस दर्द ये कहाँ की मेहमान नवाजी है" माना कि तेरे दर पे हम खुद चलकर आये थे ऎ इश्क़,, 
 
लेकिन दर्द दर्द और बस दर्द ये कहाँ की मेहमान नवाजी है"
माना कि तेरे दर पे हम खुद चलकर आये थे ऎ इश्क़,, 
 लेकिन दर्द दर्द और बस दर्द ये कहाँ की मेहमान नवाजी है" माना कि तेरे दर पे हम खुद चलकर आये थे ऎ इश्क़,, 
 
लेकिन दर्द दर्द और बस दर्द ये कहाँ की मेहमान नवाजी है"