कभी टूटे हुए तारों की दास्तां सुनी हमने । मोहब्बत के मारों की दास्तां सुनी हमने । कबूतर को देखा था हमने पत्राचार करते । ना देखा इश्क में जिस्म की नुमाइश करते। बच्चे कब बड़े हो गए ये पता ही नहीं चला । पत्ता कब टूटा डाल से पता ही नहीं चला । जवानी आ गई ,और वो गुनगुनाने लगे। कि यही सच है शायद मैने प्यार किया । मेरी तकदीर ही मुझसे शायद रूठ गई । मेरे हाथों से बागडोर उनकी छूट गई । अब बहुत देर हो चुकी थी मगर करते क्या । हमारी जान थी हमसे ही बड़ी दूर गई । अब तो बस इंतजार है उनके लौट आने का । दुखी भारत को फिर अच्छी खबर सुनने का । ♥️जय♥️ हिंद ♥️गुड♥️नाईट♥️ , ©भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन ,,,,#खुदगर्ज औलाद ।