Nojoto: Largest Storytelling Platform

उम्मीद मैंने बेहिसाब देखी । जब एक मजदूरी करते बच्च

उम्मीद मैंने बेहिसाब देखी ।
जब एक मजदूरी करते बच्चे के हाथ में किताब देखी ।
खुशियां को भी झुकना पड़ा उनके आगे 
जब बच्चों ने सूखी रोटी बाप के हाथ देखी।
आंखो में आंसू भला कैसे न आते 
दो दिन से भूकी बच्चों के लिए खाना मांगती मां देखी।
किस्मत से भला उन्हें क्या आश होगी 
सपने में भी जिसने पेटभर खाने की चाह देखी।
 # Bhook
उम्मीद मैंने बेहिसाब देखी ।
जब एक मजदूरी करते बच्चे के हाथ में किताब देखी ।
खुशियां को भी झुकना पड़ा उनके आगे 
जब बच्चों ने सूखी रोटी बाप के हाथ देखी।
आंखो में आंसू भला कैसे न आते 
दो दिन से भूकी बच्चों के लिए खाना मांगती मां देखी।
किस्मत से भला उन्हें क्या आश होगी 
सपने में भी जिसने पेटभर खाने की चाह देखी।
 # Bhook
roshansingh2688

Roshan singh

New Creator

# Bhook