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#2YearsOf ग़ज़ल 12122 - | Eng

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ग़ज़ल 


12122 - 12122 - 12122 - 12122
अभी अभी तो मिली हैं नज़रें, अभी ये चाहत नई नई है।
निगाह   भर  के हमें  वो  देखे,  हुई  इनायत नई नई है।

तुम्हें मिली है जहां की दौलत, हमारे हिस्से में बेरुखी है, 
जह़न में उठता है दर्द मेरे,अभी ये आदत नई नई है।

सुना तुम्हारे हैं और आशिक, मगर मुझे तो तुम्हीं मिले हो,
बड़ी ही सिद्दत से तुमको चाहा, हुई मुहब्बत नई नई है।

वफ़ा के बदले दी बेवफ़ाई, तुम्हें हमारी न याद आई,
चले हो गैरों से दिल लगाने, तुम्हारी कुर्बत नई नई है।

उमा ये दुनिया तो मतलबी है, यहां पे चाहत सही नहीं है,
हमें न मालूम हो सका है, हमारी उल्फ़त नई नई है।

©Uma Vaishnav
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