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हर जीव के अंदर जो प्राण स्वरूपिणी आत्मा है वही तो

हर जीव के अंदर जो प्राण स्वरूपिणी आत्मा है वही तो ईश्वर है लेकिन हम सभी विषय बाहरी आवरण में ढूंढते हैं जबकि वास्तव में वह हमारे 
अंदर दिए के समान है।

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