क्या लिखूं उसपर कुछ, वह खुद में एक उपन्यास है. उसे लोगों का साथ पसन्द था, मुझे एकांत की तन्हाई. वह चिकन और बर्गर पर मरती थी, मैं ठपरी की चाय पे. उसे बोलना पसन्द था, मुझे खामोशी से उसको सुनना. उसे चित्रकारी पसन्द था, मुझे उस पर लिखना. कविता, कहानी उसे बोरिंग लगते थे उसे, पर बार-बार पढ़ती थी जो लिखता था मैं. वह मॉल्स, रेस्टोरेंट, मल्टीप्लेक्सेस के सपने देखती थी, मैं जंगल की घनी वादियों में खोना चाहता था. उसे सर्दियों की बर्फ़बारी सुबह पसंद थी, मुझे समुद्र किनारे की गर्मी की शाम. न उसने मुझे बदलना चाहा, न मैंने उसे. न उसने कुछ कहा , न मैंने. कुछ इस क़दर था मेरा रिश्ता उससे. कुछ दिन पहले पता चला उसके एक दोस्त से, अब वो ख़ामोशी से एकांत में रहने लगी है, उसे भी अब गर्मी की शाम पसंद आने लगी है, तलब उसे भी हो गयी है चाय की. और मैं... मैं भी अक्सर बर्गर खा लेता हूँ , किसी रेस्टोरेंट में बैठकर. मैं और वो , उसका मेरा रिश्ता #Lovepoetry #MainAurWo #NojotoHindi