क़ैद कर रखी है गिराहों में ज़िन्दगी ऐसे तितलियाँ किसी ने जार में बंद कर दी हों जैसे ज़िन्दगी और तितलियाँ , दोनो .... मांगती है पनअपने के लिए बहोत सी आज़ाद हवा और बिना रुकावट का एक आसमान तो खोल दो भींची हुई मुट्ठियाँ गिराहें और ढक्कन जार का ज़रूरी है ज़िन्दगी को सांस लेने के लिए Musings 14/1 /19