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इश्क़ के ख्वाब का क़ज़ा ही मुकाम था, ऐ बादल क्या तेरा

इश्क़ के ख्वाब का क़ज़ा ही मुकाम था,
ऐ बादल क्या तेरा यही एहतेराम था,
हर एक मोड़ पर मुझे बरबादियाँ ही मिली,
क्या मिरी ज़िन्दगी का यही अंजाम था। क्या मिरी
इश्क़ के ख्वाब का क़ज़ा ही मुकाम था,
ऐ बादल क्या तेरा यही एहतेराम था,
हर एक मोड़ पर मुझे बरबादियाँ ही मिली,
क्या मिरी ज़िन्दगी का यही अंजाम था। क्या मिरी
sanu7233911295746

सानू

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