जन्म लिया था नारी रूप में, लेकिन सौ- सौ मर्दो पर भारी मर्दानी थीं। लक्ष्मीबाई, पद्मावती और दुर्गावती अनेकों महान वीरांगना नारी थीं। कई- कई बार दुश्मनों पर पड़ी भारी, ये सब जैसे दुर्गा की अवतारी थीं। देश की रक्षा की खातिर, खुद की बलि दे दी ये वो वीर बलिदानी थीं। सर स्वाभिमान का ना झुकने दिया, वीरांगनाओं में चंडी व काली थी। भुजाओं में बल था अपार, हृदय में देशभक्ति की जल रही ज्वाला थी। शौर्य की गाथा गाता है आज भी देश और विधाता भी शीश झुकाता है। देश की हर नारी एक वीरांगना है, बस आज की नारी खुद से ही हारी है। #Contest17 (Hindi/उर्दू) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,