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तेरी पत्थर -दिली का, हर सबक में कहूँ ..... कब लि

तेरी पत्थर -दिली  का, 
हर सबक में कहूँ .....
कब लिखूं
 अब लिखूं, 
क्या लिखूं
 क्यों लिखूं......

लौट आओ की
 मेरी साँसे
 अब तिनका तिनका बिखरती हैं..
कहीं मेरी
 जान ना ले ले 
ये पहली शाम दिसंबर की.......

हार गयी तकदीर
 कुछ टूट गए सपने..
कुछ गैरों ने बर्बाद किया 
कुछ तोड़ गए अपने......

उन्हॊने बड़ी मुद्दतों 
के बाद...
इज़ाज़त  मांगी है 
  चंद बाते  करने की आज  ....
कितना फ़र्क 
आ गया तुममें ..
.सोच कर आँखे समंदर बन  पड़े........

🤔#निशीथ🤔

©Nisheeth pandey तेरी पत्थर -दिली  का, 
हर सबक में कहूँ .....
कब लिखूं
 अब लिखूं, 
क्या लिखूं
 क्यों लिखूं......

लौट आओ की
तेरी पत्थर -दिली  का, 
हर सबक में कहूँ .....
कब लिखूं
 अब लिखूं, 
क्या लिखूं
 क्यों लिखूं......

लौट आओ की
 मेरी साँसे
 अब तिनका तिनका बिखरती हैं..
कहीं मेरी
 जान ना ले ले 
ये पहली शाम दिसंबर की.......

हार गयी तकदीर
 कुछ टूट गए सपने..
कुछ गैरों ने बर्बाद किया 
कुछ तोड़ गए अपने......

उन्हॊने बड़ी मुद्दतों 
के बाद...
इज़ाज़त  मांगी है 
  चंद बाते  करने की आज  ....
कितना फ़र्क 
आ गया तुममें ..
.सोच कर आँखे समंदर बन  पड़े........

🤔#निशीथ🤔

©Nisheeth pandey तेरी पत्थर -दिली  का, 
हर सबक में कहूँ .....
कब लिखूं
 अब लिखूं, 
क्या लिखूं
 क्यों लिखूं......

लौट आओ की