तुम्हें इकतला करने आया हूँ ओ रे मनभावन समय के पहरेदार तुम्हें माटी की सार समझाने आया हूँ ये जो तुम गीत गाते हो नदियों के, झरने के ये जो तुम फिरकी लेते हो बादलों के, ओले के तुम्हें माटी की राज बताने आया हूँ क्या कभी खाली समय के सड़कों पर घूमते पहियों के हाल देखे हो क्या कभी रुकते ट्रेनों के पहियों से घर्षण का हाल पूछे हो क्या कभी खुद को खुद मे कैद लावारिश लाश देखे हो फिर से तुम्हें खुद का जात बताने आया हूँ ओ रे इंसान, तुम्हें माटी की सार बताने आया हूँ ये सूरज जब ढल जाता है, तो रात हो जाती है समय जब ढल जाता है, तो शरीर राख हो जाता है ©Rumaisa #bnarasghat #Manikarnika #life #reality #jivan #