ताजमहल की नींवों को भरने वालों ने क्या पाया, न इश्क किया न इश्क जिया लिखने वालों ने क्या पाया। खजुराहो की मूरत अब आंखों से तराशी जाती है, अजंता की दीवारों को गढ़ने वालों ने क्या पाया। खंडहर की दीवारों पर जो विशुद्ध वर्तनी लिखे हुए हो, याद तुम्हारे संग चली गईं अब पढ़ने वालों ने क्या पाया। प्रीति लगाकर प्रीति सिखाकर प्रीति दिखाकर चले गए, प्रीति की कविता लिखने पढ़ने सुनने वालों ने क्या पाया। दूर भौतिकी संसाधन से जंगल में बस जाएं कहीं, यह बड़े शहर में बड़ी कमाई करने वालों ने क्या पाया। ताजमहल की नींवों को भरने वालों ने क्या पाया, न इश्क किया न इश्क जिया लिखने वालों ने क्या पाया। #nozoto #tajmahal #love #ishk