मेने भी देखा है सीता को मां में नारी में ही मर्यादा है मिलता है प्यार बाजारों में जिस्म का पर मां के प्यार से कुछ नही ज्यादा है । एक बिस्तर बनकर लेट गई एक ने बिस्तर पर सुलाया है बेचकर कर जिसने मंगल सूत्र किताबो को दिलाया है । हां वो मां है मां से बड़ा कुछ नही जग झूठा झूठा लगता है जब मां नही तो कुछ नही राधे राधे । please respect the girls ©akash shrivastav मेने भी देखा है सीता को मां में नारी में ही मर्यादा है मिलता है प्यार बाजारों में जिस्म का पर मां के प्यार से कुछ नही ज्यादा है । एक बिस्तर बनकर लेट गई एक ने बिस्तर पर सुलाया है बेचकर कर जिसने मंगल सूत्र