बाल बाल ले आज डूबती कश्ती को दरीया से निकाल आया तूफाँ ; देखों बनके महाकाल चल चाल की दुश्मन हो जाये पस्त तभी बचेगें हम सब आज बाल बाल कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद बाल बाल.....कीर्तिप्रद