नौचंदी मेला का इतिहास ...
नौचंदी का मेला हर साल अप्रैल में महीने में लगता है। अलीगढ़ के नुमाईश की तरह इसकी दूर दूर तक प्रसिद्धि है। मेरठ का ऐतिहासिक नौचंदी मेला हिन्दू–मुस्लिम एकता का प्रतीक है। यहां पर हजरत बाले मियां की दरगाह एवं नव चंडी देवी (नौचन्दी देवी) का मंदिर एक दूसरे के निकट ही स्थित हैं।
सिर्फ रात में लगता है मेला – नौचंदी ग्राउंड में मेले के दौरान जहां मंदिर में भजन कीर्तन होते रहते हैं वहीं दरगाह पर कव्वाली होती रहती है। इस मेले की खास बात है कि यह मेला सिर्फ रात में लगता है। दिन में यहां कुछ नहीं होता। शाम होते ही मेले की रौनक बढ़ने लगती है। जैसे जैसे रात गहराती है दुकाने सजने लगती हैं। मेले में लोगों की आवाजाही बढ़ती जाती है।
नौचंदी मेले का इतिहास 350 साल से ज्यादा पुराना है। इस मेले की शुरुआत 1672 में एक पशु मेले के तौर पर हुई थी। चैत्र नवरात्र के मौके पर इस मेले की शुरुआत होती थी। मेरठ की नव चंडी देवी के नाम पर इस मेले की शुरुआत पहले एक दिन के लिए की गई थी। बाद में यह मेला कई दिनों का हो गया।
ब्रिटिश हुकूमत के दौरान उत्तर प्रदेश का यह बड़ा पशु मेला हुआ करता था। दूर दूर से व्यापारी यहां तिजारत करने आते थे। लोग इस मेले का शिद्दत से इंतजार किया करते थे। इस मेले ने 1857 के गदर का दौर भी देखा है। #hindipoetry#yourquotebaba#yourquotedidi#trendingquotes#tarunasharma0004#historicalquote#नौचंदी_मेला