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वो मेरी आरजू थी, मेरी ख्वाहिश थी। मैं उसे अपना मुक

वो मेरी आरजू थी, मेरी ख्वाहिश थी।
मैं उसे अपना मुक्कमल जहाँ बना न सका।

चाहा था मैंने उसे अपनी हसरतों से ज्यादा।
पर मैं उसे अपना हमसफर बना न सका।

जिद थी वो मेरी, चाहता तो उसे छीन सकता था।
पर वो मेरी मोहब्बत थी, उसे मैं ये बता न सका।

चाहता था मैं कि कह दूं उससे अपना हाल-ए-दिल।
पर अफसोस कि मैं वो माहौल कभी बना न सका।

ऐ दिल तू इतना मायूस क्यूँ है, तेरी तो खता न थी।
शुक्रगुजार हूँ तेरा कि कभी उसे दिल से भूला न सका। #khwahish #aarzoo #humsafar #mohabbat #hasrat #hale_e_dil
वो मेरी आरजू थी, मेरी ख्वाहिश थी।
मैं उसे अपना मुक्कमल जहाँ बना न सका।

चाहा था मैंने उसे अपनी हसरतों से ज्यादा।
पर मैं उसे अपना हमसफर बना न सका।

जिद थी वो मेरी, चाहता तो उसे छीन सकता था।
पर वो मेरी मोहब्बत थी, उसे मैं ये बता न सका।

चाहता था मैं कि कह दूं उससे अपना हाल-ए-दिल।
पर अफसोस कि मैं वो माहौल कभी बना न सका।

ऐ दिल तू इतना मायूस क्यूँ है, तेरी तो खता न थी।
शुक्रगुजार हूँ तेरा कि कभी उसे दिल से भूला न सका। #khwahish #aarzoo #humsafar #mohabbat #hasrat #hale_e_dil