क्यूं चमक रहा है चांद बेवजहा ।। पूछे जाके कोई उससे जरा ।। आसमान निहारती है वो वहां ।। पूछती सितारों से मेरा पता ।। चांद की तो चांदनी भी साथ है ।। मेरा उससे फासला है मिलों का ।। संग उसके बैठने का ख्वाब है ।। उसके हाथ थामने की ख्वाहिशें ।। चांद को सुनाऊंगा मैं दास्तां ।। होगा मेरा इश्क जब हां फनां ।। @लेखकRai #moon #love #shine #nojoto #nazm #poetry #love #life #hindi