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सूरज से चली लालिमा। मोहल्ले   के    ये  

सूरज से चली लालिमा।          मोहल्ले   के    ये   बच्चे,
बीती है  रात्रि कालिमा।          उठ   खेल   रहें  हैं  सारे।
पेड़ों   पर  पंछी   बोले।          इतना मुझको न सताओ,
ये पवन मगन  हो डोले।          अब उठ भी जाओ प्यारे।

सबको   बुलाएँ   दिशाएँ,         देखो  द्वार  खड़ा ग्वाला।
सभी ओर शोर  हुआ  रे।         आया  फिर  फेरी  वाला।
इतना मुझको न सताओ,         बापू   पहुँचे    खेतों   में।
अब उठ भी जाओ प्यारे।         सब  जगे  हुए  केतों  में।

कोयल भी  गीत सुनाए।         ये  रात  गयी  है  कबकी,
सबके ही मन  को भाए।         सब   चले  गये   हैं  तारे।
ये   बाग   हँसें, मुस्कायें।         इतना मुझको न सताओ,
अपने  ही  पास  बुलायें।         अब उठ भी जाओ प्यारे। #मानव_छंद #अब_उठ_भी_जाओ_प्यारे #विश्वासी
सूरज से चली लालिमा।          मोहल्ले   के    ये   बच्चे,
बीती है  रात्रि कालिमा।          उठ   खेल   रहें  हैं  सारे।
पेड़ों   पर  पंछी   बोले।          इतना मुझको न सताओ,
ये पवन मगन  हो डोले।          अब उठ भी जाओ प्यारे।

सबको   बुलाएँ   दिशाएँ,         देखो  द्वार  खड़ा ग्वाला।
सभी ओर शोर  हुआ  रे।         आया  फिर  फेरी  वाला।
इतना मुझको न सताओ,         बापू   पहुँचे    खेतों   में।
अब उठ भी जाओ प्यारे।         सब  जगे  हुए  केतों  में।

कोयल भी  गीत सुनाए।         ये  रात  गयी  है  कबकी,
सबके ही मन  को भाए।         सब   चले  गये   हैं  तारे।
ये   बाग   हँसें, मुस्कायें।         इतना मुझको न सताओ,
अपने  ही  पास  बुलायें।         अब उठ भी जाओ प्यारे। #मानव_छंद #अब_उठ_भी_जाओ_प्यारे #विश्वासी