'लता' हूँ मैं
काट दो तुम स्नेह जड़ें मेरी
प्रेम-आच्छादित फ़िर भी रहूँगी
बढूँगी कर स्पर्श तुम्हारा
नई जड़ें में जमा ही लूँगी
छायी रहूँगी प्रेम-घन सी
आलिंगन में समेटे रहूँगी
भूल जाओगे अपना पृथक अस्तित्व #प्रेम_रचना#mनिर्झरा#योरकोट_हिंदी#योरकोटबेस्टकॉट्स#प्रेमलता