हमने न की तमन्ना कभी महल तख्त ओ ताज की हम तो अपनी मुफलिसी में भी खुश रहते हैं। हमने हमारे हर गम को मुकद्दर समझ लिया हम तो जमाने की खुशी में भी खुश रहते हैं। ©निम्मी की कलम से #मेरा_दिल