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तसल्ली देते थे कभी इक दूजे को अब ख्वाब और ख्यालात

तसल्ली देते थे कभी इक दूजे को
अब ख्वाब और ख्यालात नहीं मिलते
हंसते कभी लड़ते कभी 
घंटो होती थी बातें कभी
अब हालत ऐसे हुए जज़्बात नहीं मिलते
दो दिल जो रोज़ मिला करते थे
अब दूर रहते हैं चाहकर भी आज नहीं मिलते
दर्द रुह का दिखा सकूं मना सकूं समझा सकूं
यूं तो मैं शायर हूं, यकीन करो दोस्तो 
अब मुझको भी अल्फाज़ नहीं मिलते

©@YahanZazbaatBikteHai..
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