नहीं आता डाकिया आजकल चिट्ठियों से कोई वास्ता ना रहा अक्सर लगी रहती थीं आँखें जिस पर अब वो रास्ता ना रहा महँगे हो गए गुलाबों के मायने आजकल कलियों से कोई मोह भी नहीं जो हुआ करते थे खेल गाँव में रहे अब वो भी नहीं ज़माना एकजुटता की मिसाल था बीते समय में आजकल फूंक देते हैं मुर्दा मशीन में जनाजे पर लोग दो भी नहीं अमीरों के घर बीमारियाँ अजीब हैं बदौलत सियासत के जो गरीब हैं सुखी अब वो भी नहीं ©Neeraj Sharma #Lumi #Fact #shayri #poltics #EndOfLife #Grave #Truth #game