#poetry Title: "हो गइ परायी अपने ही घर मे मैं" क्यूं बन दी यह रीत ऐसी ऐ मेरी खुदा, जो हो गयी परायी अपनों ही घर मे मैं... क्यूं बन दी यह रीत ऐसी ऐ मेरी खुदा, जो हो गयी परायी अपनों ही घर मे मैं... माँ के आँचल मैं पली हुँ मैं, बाबा के दुलारे मे बडी हुई हुँ मैं,