गुनाह टोपी का था गर बदर तिलक हो गए हिन्दी से हिन्दुस्तान था अब हर शहर कॉलेज लोग भी पाकिस्तान हो गए संस्कार क्या आया महामारी सी छाई पंचरवाले भी अाज गाडी मालिक हो गए ना समझना टोपी कोई पोशाक देखती है इसके शिकार तो कोटपेंट साडी धोती तक हो गए