इश्क़ के इल्ज़ाम देकर बदनाम मत करना। मेरी वफ़ा को तुम ऐसे गुमनाम मत करना। जरा परखना मुझको और मेरी चाहत को। मीचकर आँख मुझे हमनाम मत करना। मैं गुल हूँ गुलशन का मुझमें महक़ है। महफ़ूज रखना मुझे ऐसे सरेआम मत करना। अभी तो तुमको मैं आयत सी लगती हूँ ठीक है। लेकिन कभी मुझको खुली क़िताब मत करना। मोहब्बत के भी अपने क़ायदे क़ानून होते है। दायरे में रहना कभी फ़ित्ने-वाम मत करना। ♥️ Challenge-701 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।