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कैसे तोड़ के रख देती है बेरुखी तेरी साँसे भी चलती ह

कैसे तोड़ के रख देती है बेरुखी तेरी
साँसे भी चलती है, हम भी चलते है
दुनियादारी भी चल ही रही होती है
मगर फिर भी सब कुछ ठहर सा जाता है 
बिना जान के जिस्म जैसे
बिना खुश्बू के पुष्प जैसे
जैसे बिना संगीत के गीत
जैसे बिन प्रीत के मीत
 #तू_और_तेरी_यादें
कैसे तोड़ के रख देती है बेरुखी तेरी
साँसे भी चलती है, हम भी चलते है
दुनियादारी भी चल ही रही होती है
मगर फिर भी सब कुछ ठहर सा जाता है 
बिना जान के जिस्म जैसे
बिना खुश्बू के पुष्प जैसे
जैसे बिना संगीत के गीत
जैसे बिन प्रीत के मीत
 #तू_और_तेरी_यादें