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मैं लिखता रहा महबूब पर, हर दर्द को उसने फिजूल कर

मैं लिखता रहा महबूब पर, हर दर्द को उसने  फिजूल कर दिया 

दो लफ्ज़ मां पर क्या लिखें मां ने तो मशहूर कर दिया #माँ #मलाल_ए_इश्क़ #मशहूरियत #आमीन
मैं लिखता रहा महबूब पर, हर दर्द को उसने  फिजूल कर दिया 

दो लफ्ज़ मां पर क्या लिखें मां ने तो मशहूर कर दिया #माँ #मलाल_ए_इश्क़ #मशहूरियत #आमीन