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पश्चिम के बहकावे में आकर क्यों वेलेंटाइन-डे मनात

  पश्चिम के बहकावे में आकर क्यों वेलेंटाइन-डे मनाते हो।  
मर्यादाओं को लांघ कर,क्यों बेशर्म-गलियारों में आते हो।
पूर्व के उजालें छोड़,क्यों पश्चिम के अंधियारों में जाते हो।
फूहड़ता के बेशर्म बाज़ार में,क्यों संस्कार बेचने आते हो।
महकते फूलों के उपवन में,क्यों कांटों के बाग लगाते हो।
 तुम घर के चिराग होकर भी,क्यों घरों में आग लगाते हो। 
पाल-पोसने वालों की ही,क्यों इज्जत नीलाम कराते हो।
अच्छे खासे हिंदुस्तां को,क्यों नया इंगलिस्तान बनाते हो।
JP lodhi 14Feb2023

©J P Lodhi.
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