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ख़ुद को फिर से पाया मैंने सुनसान सड़क पर अचानक से। ख़

ख़ुद को फिर से पाया मैंने
सुनसान सड़क पर अचानक से।
ख़ुद को मरते हुए बचाया मैंने
सुनसान सड़क पर अचानक से।।
कहीं भटक कर तड़प रहा था
न जाने किससे झड़प रहा था।
कई छुपे अक्स देखे असली
सुनसान सड़क पर अचानक से।।

©गुरु GS
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