हर आदमी अब शक के घेरे में है , इंसानियत का वजूद अब अंधेरे में है। ज़िंदा क़ौमे अब बची ही कहा है , धरती अपने आख़री फेरे में है । लंबी फेहरिस्त है जुदा जुदा कौमो की, ख़ुदा न जाने किस मज़हबी डेरे में है। इंसानियत का गला कटता यहां रोज , दरिंदे हर गली हर डगर हर बसेरे में है। - राजेश "राणा" © #Nojoto #Hindi #Nojoto #moblinching #India #भीड़