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केसे बया करू उस यारी को जो हुई थी इक टपरी पे, मिले

केसे बया करू उस यारी को
जो हुई थी इक टपरी पे,
मिले थे दो शौकीन एक ही चीज़ के एक ही छपरी पे,
उसे भी मोहब्बत थी उस मसालेदार चाय से,
और हमें तो इश्क था उस तपिली में उबलती चाय से, चाय की यारी
केसे बया करू उस यारी को
जो हुई थी इक टपरी पे,
मिले थे दो शौकीन एक ही चीज़ के एक ही छपरी पे,
उसे भी मोहब्बत थी उस मसालेदार चाय से,
और हमें तो इश्क था उस तपिली में उबलती चाय से, चाय की यारी