Unsplash फिर यू चला है अल्फाजों का सिलसिला मेरे शबाब लिखता शराब बन जाती जिंदगी लिखता खराब हो जाती अब सोचता हु थाम लू सांसे मेरी इस इस्तेकाबल में फिर मां की तस्वीर नजरों के सामने पड़ जाती ©Parveen Kumar #camping