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मेरे दादाजी (read full story in caption) मैं 90's

मेरे दादाजी
(read full story in caption) मैं 90's के उस दौर से हूँ जब, बच्चे माँ-बाप से ज्यादा दादा-दादी केे साथ वक्त बिताया करते थे
वो हमारे जादूगर और हम उनके खिलौने हुआ करते थे, ऐसे ही थे मेरे दादाजी
उम्र करीब 70 कद लम्बी सीधी रीढ़ जनेऊ धारी, धोती कुरता पहनते थे
स्कूल ज्यादा गये नहीं पर, अनुभव इतनी की पंडितों की संस्कृत सुधार दिया करते थे
हाँथ काँपते थे उनके पर, मेरी सारी किताबों की जिल्द वही लगाया करते थे
आँखे तो इतनी तेज़ की पूरी अखबार, बिना माथे पर शिकंज लाये पढ़ते थे
और जब आवाज़ लगाया करते थे तो, घर की दिवारें भी सावधान की मुद्रा में आ जाती थी
'बर्थडे' नहीं मनाया था उन्होंने, पर मेरे जन्मदिन में मेरे साथ टॉफीयाँ बाँटा करते थे
मेरे दादाजी
(read full story in caption) मैं 90's के उस दौर से हूँ जब, बच्चे माँ-बाप से ज्यादा दादा-दादी केे साथ वक्त बिताया करते थे
वो हमारे जादूगर और हम उनके खिलौने हुआ करते थे, ऐसे ही थे मेरे दादाजी
उम्र करीब 70 कद लम्बी सीधी रीढ़ जनेऊ धारी, धोती कुरता पहनते थे
स्कूल ज्यादा गये नहीं पर, अनुभव इतनी की पंडितों की संस्कृत सुधार दिया करते थे
हाँथ काँपते थे उनके पर, मेरी सारी किताबों की जिल्द वही लगाया करते थे
आँखे तो इतनी तेज़ की पूरी अखबार, बिना माथे पर शिकंज लाये पढ़ते थे
और जब आवाज़ लगाया करते थे तो, घर की दिवारें भी सावधान की मुद्रा में आ जाती थी
'बर्थडे' नहीं मनाया था उन्होंने, पर मेरे जन्मदिन में मेरे साथ टॉफीयाँ बाँटा करते थे

मैं 90's के उस दौर से हूँ जब, बच्चे माँ-बाप से ज्यादा दादा-दादी केे साथ वक्त बिताया करते थे वो हमारे जादूगर और हम उनके खिलौने हुआ करते थे, ऐसे ही थे मेरे दादाजी उम्र करीब 70 कद लम्बी सीधी रीढ़ जनेऊ धारी, धोती कुरता पहनते थे स्कूल ज्यादा गये नहीं पर, अनुभव इतनी की पंडितों की संस्कृत सुधार दिया करते थे हाँथ काँपते थे उनके पर, मेरी सारी किताबों की जिल्द वही लगाया करते थे आँखे तो इतनी तेज़ की पूरी अखबार, बिना माथे पर शिकंज लाये पढ़ते थे और जब आवाज़ लगाया करते थे तो, घर की दिवारें भी सावधान की मुद्रा में आ जाती थी 'बर्थडे' नहीं मनाया था उन्होंने, पर मेरे जन्मदिन में मेरे साथ टॉफीयाँ बाँटा करते थे