लो आज मैं बिखरता हूँ समेट लो दिल लोगे तो मुहब्बत मिलेगी ख़याल रूबरू होंगे दिमाग में रूह लोगे तो मैं खुद मिलूंगा ज़िस्म पूरा ही फ़रामोश मिलेगा आओ जमा कर लो मुझे फिर से जोड़ पाओ तो मैं फिर मिलूंगा वरना तुम्हें सिफ़र मिलूंगा . धीर सिफ़र मिलूंगा