।। अनसुलझी कहानी - 3 ।। एक किस्सा इस कहानी का, थोड़ा गुस्सा तो थोड़ा धैर्य निभाना हैं। साथी को फिर एक रहस्य बताना हैं। किसी से उलझना या रूढ़ हो जाना, बस एक छलावा हैं। हर कुछ संभल जाएगा, बस यही बतलाना हैं। बात करूं अगर एक दूजे की, दोनों का खुशनुमा अंदाज़ हैं। आए परेशानी साथी पर, फ़िर बदलता ये अंदाज़ हैं। न उलझो इन उलझनों में तुम भी, आंखों पर मूंद रखी हैं पट्टी नसीबों की, यही सब को बताना हैं। होगा वहीं जो लिखा हैं लकीरों में, वादा किया इसे निभाना हैं। पूछा लिखें क्या अपनी कहानी में, "अनसुलझी कहानी" उन्हीं की बताई गई याद का तराना हैं। ©Varun Mahera #blindLove love story