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हँस दे खिलखिला के, ओ मेरी जाने जाना। क्यूँ मुझसे र

हँस दे खिलखिला के, ओ मेरी जाने जाना।
क्यूँ मुझसे रूठी रहती हो, मैं तेरा ही दीवाना।

है बात ज़रा इतनी सी, मैं तुझको चाहता हूँ।
इल्म तुझे होने न दिया, मेरे प्यार का फसाना।

तुम्हारी तलब में जाना, है दिल बेक़रार कितना।
मेरी बेक़रारी का आलम, है तुझको अब बताना।

इंकार कभी ना करना, ना कभी तू रूठ जाना।
दिल मायूस हो जाता है, मुश्किल है तुम्हें मनाना।

कितनी बार करूँ मैं, गुजारिशें अपने इश्क़ की।
मान भी जाओ दिलबर, मुश्किल है तुम्हें समझाना। तुम्हारी तलब (ग़ज़ल)
Pic Credit :- Pinterest

हँस दे खिलखिला के, ओ मेरी जाने जाना।
क्यूँ मुझसे रूठी रहती हो, मैं तेरा ही दीवाना।

है बात ज़रा इतनी सी, मैं तुझको चाहता हूँ।
इल्म तुझे होने न दिया, मेरे प्यार का फसाना।
हँस दे खिलखिला के, ओ मेरी जाने जाना।
क्यूँ मुझसे रूठी रहती हो, मैं तेरा ही दीवाना।

है बात ज़रा इतनी सी, मैं तुझको चाहता हूँ।
इल्म तुझे होने न दिया, मेरे प्यार का फसाना।

तुम्हारी तलब में जाना, है दिल बेक़रार कितना।
मेरी बेक़रारी का आलम, है तुझको अब बताना।

इंकार कभी ना करना, ना कभी तू रूठ जाना।
दिल मायूस हो जाता है, मुश्किल है तुम्हें मनाना।

कितनी बार करूँ मैं, गुजारिशें अपने इश्क़ की।
मान भी जाओ दिलबर, मुश्किल है तुम्हें समझाना। तुम्हारी तलब (ग़ज़ल)
Pic Credit :- Pinterest

हँस दे खिलखिला के, ओ मेरी जाने जाना।
क्यूँ मुझसे रूठी रहती हो, मैं तेरा ही दीवाना।

है बात ज़रा इतनी सी, मैं तुझको चाहता हूँ।
इल्म तुझे होने न दिया, मेरे प्यार का फसाना।