क़ैद हैं ख़ुद में ख़ुद ही पे पहरा है चल रही ये दुनियाँ है आदमी ख़ुद में ठहरा है कहीं बाँधे है आरज़ू कहीं बेबस तमन्ना है हर किसी के हिस्से ग़म अपना अपना है अपनी कहानी का हर शख्स है हीरो और हर कहानी का मर्सिया भी अपना है दफ़न कर सौ तन्ज़ोग़म इस अदा से हँसता है उसकी मुस्कुराहट पे हर कोई रश्क़ करता है डूबती दुनियाँ के भरम ये ख़्वाबिदा आँखों में सँजोये न वो जीता न मरता है अच्छा चलो मसल ये भी रही अच्छी कुछ नहीं न सही साहब बन्दा कोशिश तो करता है #lovely life