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तुम्हारे साथ तो सारा ज़माना होता है मुझे अकेले ही आ

तुम्हारे साथ तो सारा ज़माना होता है
मुझे अकेले ही आंसू बहाना होता है 

उसे ही चाहता है जिस पे बस नहीं चलता 
ये दिल भी दोस्तो कितना सयाना होता है

कभी कभी तो मैं सचमुच ही टूट जाता हूँ 
सुखन को बेच के खाना पकाना होता है 

जवाब सोचकर  उस से सवाल करता हूँ 
के उसका रोज़ कहाँ  घर पे आना होता है 

तुम्हारे नाम की ग़ज़ले सुनानी होती हैं 
तुम्हारा नाम भी सबसे छुपाना होता है 

अजीब एक नदामत में जीता रहता हूँ 
दरख्त काट के घर को बनाना होता है 

मुशायरों में फ़क़त शेर पढ़ने जाता हूँ 
मुझे मेआर भी अपना बचाना होता है

मुझे तो भागके बस भी पकड़ना होती है 
तुम्हें तो कार का गेयर लगाना होता है 

ग़ज़ल के शेर कभी ऐसे ही नहीं होते  
चराग़ खून से दिल में जलाना होता है 

कहीं भी जाऊँ तो लगता है जैसे जाने क्यूँ  
मेरा यहाँ से बहुत आना जाना होता है  
Aadarsh Dubey

©आदर्श दुबे तुम्हारे साथ तो सारा ज़माना होता है
मुझे अकेले ही आंसू बहाना होता है 

उसे ही चाहता है जिस पे बस नहीं चलता 
ये दिल भी दोस्तो कितना सयाना होता है

कभी कभी तो मैं सचमुच ही टूट जाता हूँ 
सुखन को बेच के खाना पकाना होता है
तुम्हारे साथ तो सारा ज़माना होता है
मुझे अकेले ही आंसू बहाना होता है 

उसे ही चाहता है जिस पे बस नहीं चलता 
ये दिल भी दोस्तो कितना सयाना होता है

कभी कभी तो मैं सचमुच ही टूट जाता हूँ 
सुखन को बेच के खाना पकाना होता है 

जवाब सोचकर  उस से सवाल करता हूँ 
के उसका रोज़ कहाँ  घर पे आना होता है 

तुम्हारे नाम की ग़ज़ले सुनानी होती हैं 
तुम्हारा नाम भी सबसे छुपाना होता है 

अजीब एक नदामत में जीता रहता हूँ 
दरख्त काट के घर को बनाना होता है 

मुशायरों में फ़क़त शेर पढ़ने जाता हूँ 
मुझे मेआर भी अपना बचाना होता है

मुझे तो भागके बस भी पकड़ना होती है 
तुम्हें तो कार का गेयर लगाना होता है 

ग़ज़ल के शेर कभी ऐसे ही नहीं होते  
चराग़ खून से दिल में जलाना होता है 

कहीं भी जाऊँ तो लगता है जैसे जाने क्यूँ  
मेरा यहाँ से बहुत आना जाना होता है  
Aadarsh Dubey

©आदर्श दुबे तुम्हारे साथ तो सारा ज़माना होता है
मुझे अकेले ही आंसू बहाना होता है 

उसे ही चाहता है जिस पे बस नहीं चलता 
ये दिल भी दोस्तो कितना सयाना होता है

कभी कभी तो मैं सचमुच ही टूट जाता हूँ 
सुखन को बेच के खाना पकाना होता है

तुम्हारे साथ तो सारा ज़माना होता है मुझे अकेले ही आंसू बहाना होता है उसे ही चाहता है जिस पे बस नहीं चलता ये दिल भी दोस्तो कितना सयाना होता है कभी कभी तो मैं सचमुच ही टूट जाता हूँ सुखन को बेच के खाना पकाना होता है #Shayari #gaon