कुछ बोल जो अनमोल हो गई, कुछ बातें खतावार हो गई, अब लोग समझदार हो गए, रिश्तो को समझना दुश्वार हो गई, क्या रूठना क्या मनाना यहां, दुनिया अब मुझ से बेजार हो गई, जताते थे कभी बेबाक सा हक़ मुझ पर, अब वो रिश्ते जिम्मेदार हो गई, कैद है वह अपनी अना में आज फ़िर, झुकने की बारी फ़िर मेरी एक बार हो गई। ©Shaikh Shabana #upset