सपने बहुत महंगे है मेरे, इन्हें यूंही ना तोड़ा कर, एक ख़्वाब है दरीचे में, उससे तो ना मुंह मोड़ा कर, फक़त गुनाह है किसी को बेवजह चाहना, तो ये प्यार की बातें ना दोहराया कर, अगर सब बेवजह है, तो इसे यूंही ना होने दिया कर, साथ निभाने का ज़िम्मा ना लें, जब तक खुश हो मुझसे लिपट जाया कर, एक परिंदे से मत पुछ, कहाँ तक वो उड़ जाया कर, मैं सकू की सांस लिए बैठा हूं, मुझे रोज-रोज पुरानी बातें, बोल कर ना उकसाया कर, तू जाती है जो जा, मुझे अब और ना रुलाया कर। सपने बहुत महंगे है मेरे, इन्हें यूंही ना तोड़ा कर, एक ख़्वाब है दरीचे में, उससे तो ना मुंह मोड़ा कर, फक़त गुनाह है किसी को बेवजह चाहना, तो ये प्यार की बातें ना दोहराया कर, अगर सब बेवजह है, तो इसे यूंही ना होने दिया कर,